
हाफिज सईद, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का संस्थापक और 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अज्ञात बंदूकधारियों ने उनके भतीजे की हत्या कर दी, जिससे कई अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या अब हाफिज सईद भी इसी तरह के हमले का शिकार हो सकते हैं। इस घटना ने पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की सुरक्षा और वहां की राजनीति पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है।

भतीजे की हत्या: एक संकेत?
पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में कई आतंकियों की रहस्यमयी हत्या हुई है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या सरकार या कोई अन्य गुट इन आतंकियों को खत्म करने की योजना बना रहा है। हाफिज सईद के भतीजे की हत्या भी इसी कड़ी का एक हिस्सा हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की सरकार अब उन आतंकियों से छुटकारा पा रही है, जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ रहा है।
पाकिस्तान की बदलती नीति?
पाकिस्तान लंबे समय से आतंकियों को शरण देने के आरोपों से घिरा रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के दबाव में आकर पाकिस्तान ने कई आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का दिखावा किया है। हाफिज सईद खुद आतंकवाद के वित्तपोषण के मामलों में 78 साल की सजा काट रहा है।
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान सरकार अब ऐसे आतंकियों को निशाना बना सकती है, जिनका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम खराब हो चुका है। इससे न केवल पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर राहत मिलेगी बल्कि उसकी छवि भी सुधरेगी।

हाफिज सईद पर मंडराता खतरा
अभी हाल ही में पाकिस्तान में कई आतंकी सरगनाओं की हत्या हुई है। इनमें हाफिज सईद के नजदीकी सहयोगी भी शामिल हैं।
- अदनान अहमद (अबू हंजला): दिसंबर 2023 में कराची में अज्ञात हमलावरों ने इस शीर्ष लश्कर-ए-तैयबा कमांडर की हत्या कर दी थी।
- मुफ्ती कैसर फारूक: अक्टूबर 2023 में कराची में ही फारूक की भी रहस्यमय तरीके से हत्या कर दी गई थी।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि हाफिज सईद भी जल्द ही किसी हमले का शिकार हो सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत हमेशा से पाकिस्तान पर हाफिज सईद जैसे आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप लगाता रहा है। भारत सरकार ने दिसंबर 2023 में पाकिस्तान से औपचारिक रूप से हाफिज सईद के प्रत्यर्पण की मांग की थी, लेकिन पाकिस्तान ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि दोनों देशों के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
भारत का मानना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर दोहरी नीति अपनाता है और जब तक वह कठोर कार्रवाई नहीं करता, तब तक आतंकवाद की समस्या बनी रहेगी।
निष्कर्ष
हाफिज सईद पर खतरा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ चुका है। उसके भतीजे की हत्या और उसके करीबी सहयोगियों के मारे जाने के बाद यह संभावना और प्रबल हो गई है कि पाकिस्तान उसे भी रास्ते से हटाने की योजना बना सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह पाकिस्तान की बदलती रणनीति का संकेत होगा।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पाकिस्तान सच में आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाएगा या फिर यह सब केवल एक दिखावा मात्र है।