
ख़ाकी: द बंगाल चैप्टर रिव्यू – उतना अनोखा नहीं जितना दावा करता है
‘ख़ाकी: द बंगाल चैप्टर’ एक और वेब सीरीज़ है जो क्राइम, पुलिस और राजनीति के बीच की जंग को दिखाने का दावा करती है। जब यह शो रिलीज़ हुआ, तो इसे एक अनोखी कहानी के रूप में प्रचारित किया गया। लेकिन क्या यह सीरीज़ वाकई उतनी अनोखी है जितना कि दावा किया गया था? इस समीक्षा में, हम इसी सवाल का जवाब तलाशेंगे।

ख़ाकी कहानी की समीक्षा
इस शो की कहानी पुलिस और अपराधियों के बीच होने वाली टकराव पर आधारित है। कहानी में एक आईपीएस अधिकारी की जद्दोजहद दिखाई गई है, जो एक संगठित अपराध गिरोह से लड़ता है। बंगाल की पृष्ठभूमि में सेट इस सीरीज़ में राजनीति और अपराध की मिलीभगत को भी उजागर करने की कोशिश की गई है।
कहानी अच्छी है लेकिन इसमें कुछ भी नया नहीं है। ऐसी कई सीरीज़ पहले भी बन चुकी हैं, जिनमें पुलिस बनाम अपराधी की कहानी को दर्शाया गया है। ‘ख़ाकी: द बिहार चैप्टर’ जैसी ही वाइब इस सीरीज़ में भी देखने को मिलती है।
ख़ाकी अभिनय और निर्देशन
अभिनय
सीरीज़ में मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता अपनी अदाकारी से प्रभावित करते हैं। पुलिस अधिकारी के किरदार में अभिनेता ने बढ़िया काम किया है। वहीं, अपराधी और राजनेता के किरदारों को भी दमदार तरीके से निभाया गया है।
निर्देशन
निर्देशक ने कहानी को काफी रोमांचक बनाने की कोशिश की है। कुछ एक्शन और थ्रिलिंग सीन्स अच्छे से शूट किए गए हैं, लेकिन कई बार कहानी खिंचती हुई लगती है। स्क्रीनप्ले में कसावट की कमी है, जो इसे कुछ हद तक उबाऊ बना देता है।
क्या यह वाकई अनोखी सीरीज़ है?
शो के प्रमोशन के दौरान इसे अनोखी और नई कहानी कहने वाली सीरीज़ के रूप में प्रचारित किया गया था। लेकिन जब आप इसे देखते हैं, तो यह दूसरी वेब सीरीज़ से बहुत अलग नहीं लगती।
ख़ाकी क्यों यह अनोखा नहीं है?
- पहले भी ऐसी कई सीरीज़ आ चुकी हैं – क्राइम और पुलिस ड्रामा पर आधारित कई भारतीय वेब सीरीज़ पहले से मौजूद हैं। ‘मिर्जापुर’, ‘पाताल लोक’, ‘ख़ाकी: द बिहार चैप्टर’ जैसी सीरीज़ पहले ही दर्शकों को देखने को मिल चुकी हैं।
- क्लिच प्लॉट – कहानी में कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे पहले ना देखा गया हो। पुलिस और अपराधी की टक्कर, भ्रष्टाचार, राजनीति का दखल – ये सब पहले भी कई बार दिखाया जा चुका है।
- पारंपरिक कहानी का फॉर्मेट – कहानी में वही पुरानी थीम है, जहां एक ईमानदार पुलिस अफसर सिस्टम से लड़ता है। इसमें कुछ भी नया नहीं जो दर्शकों को चौंका सके।

ख़ाकी वेब सीरीज़ की मजबूत और कमजोर कड़ियाँ
मजबूत पक्ष
- शानदार अभिनय
- अच्छी सिनेमेटोग्राफी
- कुछ अच्छे एक्शन सीन्स
कमजोर पक्ष
- कहानी में कोई नयापन नहीं
- स्क्रिप्ट में कसावट की कमी
- कुछ एपिसोड्स बहुत खिंचे हुए लगते हैं
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. क्या ‘ख़ाकी: द बंगाल चैप्टर’ देखने लायक है?
अगर आप क्राइम थ्रिलर पसंद करते हैं और ज्यादा नई चीज़ों की उम्मीद नहीं कर रहे हैं, तो यह सीरीज़ देख सकते हैं। लेकिन अगर आप किसी अनोखी कहानी की तलाश में हैं, तो यह आपको निराश कर सकती है।
2. यह ‘ख़ाकी: द बिहार चैप्टर’ से कितना अलग है?
कई मायनों में दोनों सीरीज़ एक जैसी लगती हैं। हालांकि, बैकग्राउंड और किरदार अलग हैं, लेकिन थीम लगभग वही है।
3. क्या इस सीरीज़ में कुछ नया है?
अगर आप भारतीय वेब सीरीज़ के रेगुलर दर्शक हैं, तो आपको इसमें कुछ भी नया नहीं लगेगा।
4. अभिनय कैसा है?
अभिनय काफी अच्छा है। पुलिस और अपराधी दोनों ही किरदार दमदार हैं।
5. क्या इसका दूसरा सीजन आएगा?
फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन अगर यह सीरीज़ सफल होती है, तो इसका दूसरा सीज़न आ सकता है।
निष्कर्ष
‘ख़ाकी: द बंगाल चैप्टर’ एक औसत दर्जे की वेब सीरीज़ है, जो क्राइम थ्रिलर दर्शकों को कुछ हद तक एंटरटेन तो करती है, लेकिन इसमें कुछ भी अनोखा नहीं है। अगर आप इस तरह की सीरीज़ पहले भी देख चुके हैं, तो आपको इसमें कुछ भी नया नहीं लगेगा।
हालांकि, अभिनय और एक्शन अच्छे हैं, लेकिन कमजोर स्क्रिप्ट और क्लिच प्लॉट के कारण यह सीरीज़ अपनी अनोखी पहचान बनाने में असफल रहती है। अगर आप समय बिताने के लिए कोई क्राइम थ्रिलर देखना चाहते हैं, तो इसे देख सकते हैं, लेकिन ज्यादा उम्मीद ना रखें।